Friday, October 16, 2009

बोलो कैसी दीवाली

दीप हज़ार जलाती दुनिया,
पुए माल उडाती दुनिया ,
ऊँची अटारियों वाली दुनिया,
जिसके दिल ही खाली दुनिया,
धन के मद में मदमाती दुनिया,
द्रौपदी को दांव लगाती दुनिया,
अपनो को दास बनाती दुनिया,
रुपयों को आग लगाती दुनिया,
लपटों के नृत्य दिखाती दुनिया,
शोर मचाती गाती दुनिया,
अँधेरे फैलाती दुनिया ,
दुनिया को ही खाती दुनिया...

एक ओर जल रही है ,
जूठनों पे पल रही है,
झोपडों में सो रही है ,
दिल ही दिल रो रही है ,
ये दुनिया भी चल रही है,
रहेगी...वैसे ही रही है,
लुट रही है लुट रही है,
ठोकरों से पिस रही है ,
एडियाँ भी घिस रही है ,
रास्तों पे बिक रही है,
इसके माथे पे यही है ,
ये तो अनपढ़ ही सही है |

इसको यूँ ही रहने दो,
इस की भट्टी चलने दो ,
इसे जलाओ और मनाओ,
इसका खाओ इसे सताओ ,
इसके खातिर क्या दीवाली,
इसके किस्मत में बदहाली ,
फिर बोलो कैसी दीवाली?
फिर बोलो कैसी दीवाली?



आप सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें,
आप सभी से इस कविता के माध्यम से आग्रह है की :
१) कृपया व्यर्थ खर्चे न करें |
२) सरल और सात्विक तरीके से उत्सव मनाये |
३) कृपया फटाके न फोडें |
४) और कम से कम एक बच्चे की शिक्षा का जिम्मा ले |

Monday, October 5, 2009

बोल बम शिव-शम्भू

जग झूठा ठगिनी माया ,
जीवन सुख दुःख के फेरे,
ले उस निर्गुण का नाम,
बोल बम शिव-शम्भू |

ले जोड़ ले हीरे मोती ,
दो चार बना ले कोठी,
तन धन अपने क्या काम,
बोल बम शिव शम्भू |

आया था क्या तन लेकर ,
जाएगा फिर क्या लेकर ,
सब भरम जाएगा करम ,
बोल बम शिव शम्भू |

दुनिया चक्की पीसेगी,
तेरा मन दाना डाल के ,
तू घोंट घोंट शिव बूटी
बोल बम शिव शम्भू |

आदिपुरुष पशुपति शिव भोले,
निरंकार निर्गुण शिव भोले ,
जटा जूट धारी शिव भोले ,
भूतनाथ भगवन शिव भोले ,
नीलकंठ नटराज बोल जय महादेव,
बोल बोल बम बोल बोल बम शिव शम्भू |