Saturday, November 14, 2009

टनाटन

जो दुनिया करती है वो दुनिया करे , हम तो भैय्या ऐसे ही टनाटन हैं ,
लोग मीटर घिसे तो घिसने दो अपनी तो छींक में भी वजन है |

उठा के जूता सर पे मार ,
कल नगद आज उधार ,
यह उल्टा जीवन धन-धन है ,
जो दुनिया करती है वो दुनिया करे , हम तो भैय्या ऐसे ही टनाटन हैं |

फोकट की बातें बेकार ,
झूठी यारी झूठा प्यार ,
बाबाजी का यही कथन है ,
जो दुनिया करती है वो दुनिया करे , हम तो भैय्या ऐसे ही टनाटन हैं |

मर गए पोथी पढने वाले,
कुछ कहने कुछ करने वाले , \
कर ले बेटा जो भी मन है ,
जो दुनिया करती है वो दुनिया करे , हम तो भैय्या ऐसे ही टनाटन हैं |

आगे की क्या सोच रहा ,
क्यूँ सर की खेती नोच रहा ,
जीवन तो ये बस जीवन है ,
आगे पीछे खालीपन है ,
जो दुनिया करती है वो दुनिया करे , हम तो भैय्या ऐसे ही टनाटन हैं ,
लोग मीटर घिसे तो घिसने दो अपनी तो छींक में भी वजन है |

Friday, November 13, 2009

गन्दी दुनिया खा गयी मुनिया ||

परदों के पीछे की अँधेरी दुनिया ,
काजल की कोठरियों में पसरी दुनिया ,
गलों में घुंटी सिसकियों की दुनिया ,
एक चुनिया की दुनिया , एक गुडिया की दुनिया ...
वो होती ये होता जब चूक कोई होती ,
न होती जब फसलों में लौंडों की खरपत के जैसी पहले ही कुचली गयी होती |
होती भी तो फिर क्या होती माँ-बापू पे बोझा होती ,
पैसे रुपये गहना होती , पापों की प्रायश्चित होती , आजीवन पराश्रित होती |
घिसती बर्तन पे तकदीरें ,
रचती आँगन में तसवीरें ,
सपनों में बुनती कुछ सपने मीठे कल के ,
जिस पे दुनिया की जंजीरें ... जिसपे दुनिया की जंजीरें ||

इठलाता यौवन पहुँच आया ,
मुनिया को अंतर समझ आया ,
उसके बढ़ते घटते तन को सब ने मन ही मन सहलाया ,
कुछ पे विपदा आई होगी ,
उसपे नुच-खोस्वा कुत्तों की कोई टोली उमड़ी होगी ,
या फिर किसी परिचित की फुसलाई , बहलाई होगी ,
झूठे अफसानो वादों के जालों में फंस आई होगी ,
फिर उसको भोग होगा मन भरने तक ,
या उसकी कोख में वृक्षारोपण करने तक ,
फिर उसको ठुकराया होगा , चीरें लगवा अंकुर निकलवाया होगा , या सीधे जड़ को ही निपटाया होगा |
जो बचके मिली होगी किसी राजकुमार से ,
जिसकी दुनिया दोपल रोशन हुई प्यार से ,
वो भी लटकी होगी गाँव के बाहर कहीं ,
और उसके प्रीतम की लाश भी होगी वहीँ |
बच गयी जो सद्गुणी माँ बाप के साए तले,
कोई गौरेन्टी नहीं मेरे भाई के वो ना जले ,
उस के पहले तड़पआई गयी होगी ,तानो से लातों से सजाई गयी होगी ,
केरोसिन लगाया होगा , माचिस लगाया होगा ,
जिंदा बेचारी औरत को जलाया होगा ,
और स्टोव फटा बोल मामला रफू करवाया होगा |
और कुछ बच जायेंगी इन से ,
जी लेंगी जीवन घुट घुट के ,
जीना भी क्या जीना ऐसे |

परदों के पीछे की अँधेरी दुनिया ,
काजल की कोठरियों में पसरी दुनिया ,
गलों में घुंटी सिसकियों की दुनिया ,
एक चुनिया की दुनिया , एक गुडिया की दुनिया ...
ये दुनिया एक बेहतर दुनिया हो भी सकती थी ,
इस में भी एक औरत दम से जी सकती थी ,
लेकिन पहले पैदा किया खुदा ने खुद के रूप में ,
आदम की जात पहले ,
वो जात खा गयी चुनिया को ,
उसके सपनो की दुनिया को ,
वो जात खा गयी चुनिया को ,
उसके सपनो की दुनिया को ,
नंगी दुनिया खा गयी मुनिया ,
गन्दी दुनिया खा गयी मुनिया |
नंगी दुनिया खा गयी मुनिया ,
गन्दी दुनिया खा गयी मुनिया ||