बस आँखों से बातें कर लूँ
रुई के फाहे भर कानो में
सारे रंग तुम्हारे चख लूँ ..
इधर उधर फैला है जितना
इतना निश्छल इतना निर्मल
बहते झरने से चेहरों के
बाँध अंजुली अमृत हर लूँ ..
नापी तौली , सजी नहीं
जो किसी तार से बुनी नहीं
वो बैन अबोली समझो तो
मै सागर गागर में भर लूँ ...
कल पर्दा ये गिरता होगा
बड़ा फेर है वक़्त वक़्त में
नाट्यमंच फैला है विस्तृत
पल में जी लूँ ,मन में रख लूँ ..
नाट्यमंच फैला है विस्तृत
पल में जी लूँ ,मन में रख लूँ ..
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