जब आंते भूख से कुलबुलाती है
चिपक जाती है भीच लेने तब तेरा आँचल
फैल कर बाहें पेट के इर्द गिर्द
बस हवा रह जाती है , आवाजें करती अन्दर बाहर
माँ तब तू याद आती है
लेकिन फिर भी एक तेल की तह रह जाती है
बेस्वाद हो जाती है तब , एक एक निवाले की भूख
तीखा खा कर तब , आँखे तेरी ममता याद कर
नम हो जाती है , माँ तब तू याद आती है
याद आती है , निश्छल तेरी सेवा दुलार , प्यार
और गलतियाँ मेरी हज़ार , बार बार लगातार
जब तेरा प्यार खोजते हुए , मुझसे कोई लड़की टकराती है
और मनचाहे ख़्वाब देखते , लेकिन तब तू बिसर जाती है
एक दिन फिर जब वो भी अकेला छोड़ जाती है
माँ तब तू याद आती है
जब खाली होता है मन , और चार दीवारी
और होती है लाचारी , दूरी , बीमारी
तब शैशव की वो ढाल , और वो जुडी गर्भनाल पाने
आत्मा मचल जाती है ,
फैला कर बाहें पेट के इर्द गिर्द , सिकोड़ कर लम्बी टांगें
तन से वो स्थिति अकस्मात् दोहराती है
माँ जब तू याद आती है ....
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