Friday, April 15, 2011

टीस

हमउम्र मेरे दानिशमंदो को यूँ बौराते देखा है
मैंने उनको नंगे सडको पे दौड़ लगाते देखा है
दुनिया की बातो पे सोने की धार लगाते देखा है
प्यासी आंखो को सपनो के तेज़ाब पिलाते देखा है |
कमरे में धुप्प अँधेरे रमते,  ध्यान लगाते देखा है
कोचिंग की किश्तो में घर के बर्तन बिकवाते देखा है
अपने हाथो से काग़ज़ के अम्बार जलाते देखा है
कर्जो के कश लेकर तुक में संसार बनाते देखा है |
रिश्वत देकर बाबु से अपनी जात लिखाते देखा है
केरोसिन में सनकर खुद ही तीली सुलगाते देखा है
तमगे को गलवा कर नुक्कड़ पे पान बनाते देखा है
पैसो की खातिर रैली में यलगार उठाते देखा है |
मैदानो पे जिनको लत पथ कसरत फरमाते देखा है
टूटी हाकी से कमरे की दीवार सजाते देखा है
उस भाई को जिसको बहना की लाज बचाते देखा है
बैरैक में उसको भी मैंने आंसू टपकाते देखा है |
कुछ सुर्ख स्याही में उनको बारूद बुझाते देखा है
ग़म फूंक जला अपने प्याले में राख मिलाते देखा है
भूखी आंतो को गांजे के मलहम लगवाते देखा है
और नीली पड़ी हथेली पे रेखाएं बनाते देखा है |
अच्छे खासो को दीवानो सा हाल बनाते देखा है 
चुपचाप अकेले में बैठे डर से थर्राते देखा है
दुनिया की बातो पे सोने की धार लगाते देखा है
प्यासी आंखो को सपनो के तेज़ाब पिलाते देखा है |

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