Sunday, April 10, 2011

ताबीर

कभी जब डूबती जाए ख़ुशी ,
और सब ओर छाये बेबसी ,
किसी का साथ भूल जाता है ,
जिसे अपना ख्याल आता है |

ऐवेई हम भी खोते रहते है ,
जागी आंखो से सोते रहते हैं ,
मगर सोते से जगा देता है ,
जब ये तूफ़ान उड़ा देता है |

स्याह बादल , बेबसी  तन्हाई
काली यादो की जमी परछाई
ऐसी दीवार गिरा देता है
हर एक गुमान बहा देता है |

तब ख़ुशी से महक जाते हैं हम
बिना पिए बहक जाते है हम
हंसी आती है तब उदासी पर
बोरियत से भरी उबासी पर |

जब बिखर जाती है सब दीवारें
वो दरवाजा भी पसर जाता है
कोई दस्तक तो देता रहता है
जो बहुत बाद नज़र आता है |

हर एक ख़्वाब की ताबीर लिखी होती है
बेकरारी जिसे हमसे छुपाये होती है
मगर जब ज़िन्दगी सजाता है
तब उस ताबीर पे प्यार आता है |

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