कतरा कतरा ये ज़िन्दगी जी है ,
प्याली प्याली उधार की पी है
सियाह पैराहन में बैठी है ,
एक बेवा सी चांदनी भी है
जाल में आये तो कैसे आये ,
यूँ मछेरो की कोशिशे भी है
लौट आये कोई सुबह शायद ,
तलाश उसकी रौशनी की है
तुम को बोले कोई सदी गुजरी ,
बात सोने की पोटली सी है
आज खोलो ज़रा गिरह अपनी ,
बात पिछले उधार ही की है
Sunday, December 19, 2010
Friday, December 17, 2010
Chalte Bol
जो जमाने के अंधेरो को मिटाने निकले ,
उनको हाथों में आबलो के खजाने निकले |
कोई पत्थर तो उठाओ , तमाशबीनो तुम ,
बातो बातों से मेरे महल ढहाने निकले |
दिन तो वो भी गया के , चल दिए उठ कर चुप से ,
और किसी रोज़ ना जाने के बहाने निकले |
आह आई तो भी तेरी अदाएं लेती हुई ,
चीख उट्ठी तो लगा तुमको तराने निकले |
वो बला थी गुजर गयी , गुजर गए हम भी ,
बड़े कमज़र्फ हुए थे ये फ़साने निकले |
Tuesday, November 2, 2010
राम-खटारी
एक दिन वो था , जब तुझे घर ले के आया था ,
माँ ने माथे पे तेरे तिलक लगाया था ,
मुझे रास्तो ने और तुझे गड्ढो ने सताया था ,
दिल पे मेरे , engine पे तेरे शनि का साया था,
किसी ऑटो-dealer ने पत्रिका देख मिलाया था ,
वो साथ जो बड़ी महंगी कीमत पे आया था |
न मेरे रास्ते बदले , न उनके गड्ढे ,
मगर हम साथ थे जब तक हर दिन लगता था बर्थडे ,
मजबूर यारो की सवारी थी तू ,
ये बात अलग है की खटारी थी तू ,
बजता था सब कुछ होर्न छोड़कर ,
इंडिकेटर दगा दे जाता था हर मोड़ पर |
एक साल बिना brake चलाया तुझको ,
तुने मुझे और मैंने बचाया तुझको ,
मै तंगहाल था तुझे सजा न सका ,
कुछ पुर्जे भी टूटे तो फिर लगा न सका
अब जा रहा हूँ कर के तुझको हवाले ,
एक शख्स के जो तुझे खूब सम्हाले ,
ये विरह नहीं नयी शुरुआत है ,
तुमको नया जीवन मेरी सौगात है ||
Sunday, October 31, 2010
मै इंतज़ार करूँगा तुम्हारे आने का
मेरे खतो के कफ़न काग़ज़ी लिफाफो से ,
दफ़न से हर्फ़ ज़रा अब महक रहे होगे,
अब उनकी खूबसूरती उतर गयी होगी ,
वक़्त के साथ मायने बदल गए होगे |
मगर हैरत मेरे पते पे लौटते क्यूँ नही ,
तुम्हे छूते ही चिपक जाते हैं सायो की तरह,
तुम्हे शिकन नही होती सडन से क्यूँ उनकी ,
कही जुकाम तो नही , नही आने की वजह |
खतो को फातेहा पढता हूँ आज मै अपने ,
उन्हें सुपुर्द किये जा रहा हूँ वो सपने ,
महक जिनकी सड़ांध कम कर दे ,
और शायद जुकाम भी हर दे |
मुझे तो शौक था पत्थर से दिल लगाने का ,
और हुनर देखना दाँतो से नख चबाने का,
ज़रा जल्दी करो होता है वक़्त जाने का ,
हश्र भी देखना है तेरे उस बहाने का |
मै इंतज़ार करूँगा तुम्हारे आने का ||
दफ़न से हर्फ़ ज़रा अब महक रहे होगे,
अब उनकी खूबसूरती उतर गयी होगी ,
वक़्त के साथ मायने बदल गए होगे |
मगर हैरत मेरे पते पे लौटते क्यूँ नही ,
तुम्हे छूते ही चिपक जाते हैं सायो की तरह,
तुम्हे शिकन नही होती सडन से क्यूँ उनकी ,
कही जुकाम तो नही , नही आने की वजह |
खतो को फातेहा पढता हूँ आज मै अपने ,
उन्हें सुपुर्द किये जा रहा हूँ वो सपने ,
महक जिनकी सड़ांध कम कर दे ,
और शायद जुकाम भी हर दे |
मुझे तो शौक था पत्थर से दिल लगाने का ,
और हुनर देखना दाँतो से नख चबाने का,
ज़रा जल्दी करो होता है वक़्त जाने का ,
हश्र भी देखना है तेरे उस बहाने का |
मै इंतज़ार करूँगा तुम्हारे आने का ||
Monday, October 25, 2010
-untitled - you do it for me
सायो के शिकारी आये , पहचान छुपाई जाए
और तुम से बिना बताये , कोई रात बुलाई जाए |
अब भी वो फूलो जैसे , बस मुरझाये जातें हैं ,
आये तो बढ़ कर कोई , बारात सजाई जाए |
हाथो में किताबें जैसे बेवा है कोई बचपन की ,
कोई रंग अगर मिल जाए , बेबाक सुनाई जाए |
सुरमे के हदो से झांके , पर्वत की नोक पे अटकी,
जो बात कोई मक्खी सी ,एक दम में उड़ाई जाए |
तुमने भी लिए होगे कुछ ,किस्से मेरी ख़ामोशी से ,
चाहो तो पुरानी बिखरी बुनियाद बनाई जाए |
और तुम से बिना बताये , कोई रात बुलाई जाए |
अब भी वो फूलो जैसे , बस मुरझाये जातें हैं ,
आये तो बढ़ कर कोई , बारात सजाई जाए |
हाथो में किताबें जैसे बेवा है कोई बचपन की ,
कोई रंग अगर मिल जाए , बेबाक सुनाई जाए |
सुरमे के हदो से झांके , पर्वत की नोक पे अटकी,
जो बात कोई मक्खी सी ,एक दम में उड़ाई जाए |
तुमने भी लिए होगे कुछ ,किस्से मेरी ख़ामोशी से ,
चाहो तो पुरानी बिखरी बुनियाद बनाई जाए |
Tuesday, October 19, 2010
अपस्मर
ऐ पथिक ठहरो , ये अंतिम द्वार है और ,
मै तुम्हारी राह में रोड़ा बना हूँ ,
चल रहे थे तुम मेरे ही साथ अब तक ,
आज लेकिन मै तेरे आगे खड़ा हूँ |
आदि - अहं संतान , बोध का प्याला हूँ मै ,
ज्ञान वृक्ष की श्वास बुझाने वाला हूँ मै |
मुझमे है हर व्याधि , बनाऊ तुम्हे तत्व का आदी,
धन-बल कारक मेरे , दास और आवास मनुज की जाति |
आज विरक्ति में आनंद तुम्हे लेना है ,
विष धर कंठ तुम्हे अब गंगाजल देना है |
इच्छाओं के नागो से श्रृंगारित व सज्जित होकर,
शिव होने को आज तुम्हे तांडव करना होगा मुझपर |
मुझे आज स्वीकार , मिलेगा शिव-पग-रज उपहार ,
बनोगे तुम शिव के आधार , जलाओगे सारा संसार |
भस्म रमाओगे या भस्म करोगे दुनिया ,
आधे अब तुम कैसे सहन करोगे दुनिया |
मै प्रतीक रूप में हूँ उस मोक्ष द्वार का द्वारपाल ,
जा तुझे आज्ञा है , पहले तू मुझे तो ले सम्हाल ,
नटराज के तांडव के साथ अमर हूँ ,
नहीं मूढ़ जानेंगे मुझे , पुरुष अपस्मर हूँ ||
मै तुम्हारी राह में रोड़ा बना हूँ ,
चल रहे थे तुम मेरे ही साथ अब तक ,
आज लेकिन मै तेरे आगे खड़ा हूँ |
आदि - अहं संतान , बोध का प्याला हूँ मै ,
ज्ञान वृक्ष की श्वास बुझाने वाला हूँ मै |
मुझमे है हर व्याधि , बनाऊ तुम्हे तत्व का आदी,
धन-बल कारक मेरे , दास और आवास मनुज की जाति |
आज विरक्ति में आनंद तुम्हे लेना है ,
विष धर कंठ तुम्हे अब गंगाजल देना है |
इच्छाओं के नागो से श्रृंगारित व सज्जित होकर,
शिव होने को आज तुम्हे तांडव करना होगा मुझपर |
मुझे आज स्वीकार , मिलेगा शिव-पग-रज उपहार ,
बनोगे तुम शिव के आधार , जलाओगे सारा संसार |
भस्म रमाओगे या भस्म करोगे दुनिया ,
आधे अब तुम कैसे सहन करोगे दुनिया |
मै प्रतीक रूप में हूँ उस मोक्ष द्वार का द्वारपाल ,
जा तुझे आज्ञा है , पहले तू मुझे तो ले सम्हाल ,
नटराज के तांडव के साथ अमर हूँ ,
नहीं मूढ़ जानेंगे मुझे , पुरुष अपस्मर हूँ ||
Tuesday, July 27, 2010
Thursday, February 4, 2010
I Miss You - Tigers
मर्द अब कम हो चले हैं ,
केचुए ही केचुए हैं ,
बंद कर के कुण्डियाँ ,सब सो गए हैं ,
बाघ भी इनकी बदौलत खो गए हैं |
कहती है सरकार बाघों को बचाया जाएगा ,
पर तुम्हे सिक्कों में एक भी बाघ मिल न पायेगा |
मिलती है चीनी दवा बाघों की हड्डी से बनी ,
जिसने की उपयोग वोह मर्दों में होवे अग्रणी |
मैं कहूंगा pharmacy वालों , तुम्ही बाघों को पालों ,
नस्ल मर्द और बाघ, दोनों की बचा लो,
नस्ल मर्द और बाघ, दोनों की बचा लो ||
केचुए ही केचुए हैं ,
बंद कर के कुण्डियाँ ,सब सो गए हैं ,
बाघ भी इनकी बदौलत खो गए हैं |
कहती है सरकार बाघों को बचाया जाएगा ,
पर तुम्हे सिक्कों में एक भी बाघ मिल न पायेगा |
मिलती है चीनी दवा बाघों की हड्डी से बनी ,
जिसने की उपयोग वोह मर्दों में होवे अग्रणी |
मैं कहूंगा pharmacy वालों , तुम्ही बाघों को पालों ,
नस्ल मर्द और बाघ, दोनों की बचा लो,
नस्ल मर्द और बाघ, दोनों की बचा लो ||
Tuesday, January 19, 2010
फुर्फुन्दियों फुर्फुन्दियों
फुर्फुन्दियों फुर्फुन्दियों ,
अब न उड़ो अब न उड़ो ,
छुप जाओ कहीं सुम्म ,
हो जाओ कहीं गुम्म.
फुर्फुन्दियों फुर्फुन्दियों ....
उड़ ली बहुत , थक जायेगी,
धड़कन तेरी रुक जायेगी,
गिर के धरा पे धम्म से ,
मर जायेगी , मर जायेगी ,
जायेगी इस जनम से ,
बस पल दो पल में ही,
गति की दुर्गति हो जायेगी,
तुझपर हज़ारों चींटियों की,
चादरें बिछ जायेगी.|
नुच जायेगी नुच जायेगी ,
नुच जायेगी कसम् से |
कर ले जतन , कर ले जतन ,कर ले जतन ,
जब तक उखड ना जाए सांस या बदन ,
बच्चा कोई तेरी नुकीली पूँछ पे ,
फंदा लगा के कैबरे करवाएगा |
नच्वायेगा , तड्पाएगा ,
अब ना उड़ो , अब ना उड़ो ,
अब ना उड़ो फुर्फुन्दियों ||
अब न उड़ो अब न उड़ो ,
छुप जाओ कहीं सुम्म ,
हो जाओ कहीं गुम्म.
फुर्फुन्दियों फुर्फुन्दियों ....
उड़ ली बहुत , थक जायेगी,
धड़कन तेरी रुक जायेगी,
गिर के धरा पे धम्म से ,
मर जायेगी , मर जायेगी ,
जायेगी इस जनम से ,
बस पल दो पल में ही,
गति की दुर्गति हो जायेगी,
तुझपर हज़ारों चींटियों की,
चादरें बिछ जायेगी.|
नुच जायेगी नुच जायेगी ,
नुच जायेगी कसम् से |
कर ले जतन , कर ले जतन ,कर ले जतन ,
जब तक उखड ना जाए सांस या बदन ,
बच्चा कोई तेरी नुकीली पूँछ पे ,
फंदा लगा के कैबरे करवाएगा |
नच्वायेगा , तड्पाएगा ,
अब ना उड़ो , अब ना उड़ो ,
अब ना उड़ो फुर्फुन्दियों ||
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