मुझे तुम भूल जाओ और मुझको याद न आओ 
ये दरवाजा खुला है अब जहाँ चाहो चले जाओ 
गेसुओ की ये जंजीरे अदाओं के ये बहलावे 
सहेजो ये तरीके , ये सितम औरो पे बरपाओ  
मुजस्सिम है खुदाई हर कली हर फूल में मौजूद 
ज़रा चश्मे उतारो , दुसरो पे गौर फरमाओ 
न बोलो तुम न बोले हम ये खामोशी मुबारक हो 
सुनो न तुम मेरी बातें न मेरे लफ्ज़ दोहराओ 
ज़ेहन की बात है , मैं हूँ मेरी बातो के साए हैं 
जुबां में फर्क है अपने न उलझो और न उलझाओ 
मुझे तुम भूल जाओ और मुझको याद न आओ 
 
 
nice 1 :)
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