Tuesday, August 23, 2011

यकीन


जो रोते हैं किसी रोज़
यकीन आता है
हंसी न हो तो निगाहो
में नमी तो है अभी ...
यूँ बिना शोर बही जाए
रगो में साँसे
आह में फूट न पाए
तो यकीन आता है ...
गुम सा कहीं रहता है
धड़कने का सबब
याद आती है तुम्हारी तो
यकीन आता है ...
यकीन आता है ,
बहुत कम के मै
जिंदा हूँ अभी
याद आती है तुम्हारी तो
यकीन आता है ...

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