Tuesday, August 23, 2011

Morning Lullaby


भोर भई अब जाग
सलोनी उठ जा रे
अब भोर भई
सपनो की चादर सरका
पट खोल देख
अब भोर भई
मीची पलकें खुले
सुनेहरी अब दिन की बोहनी कर दे
प्यारी चिड़िया तुझे सुनाये
चहक मधुर
अब भोर भई
धरती पे पग रखो
बादलो की दुनिया से विदा हुई
पूरे कर लो काज सभी , अंगड़ाई लो
अब भोर भई

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