बात आई है जो उन पर तो इधर देखते हैं |
मेरे मरने की दुआ मांगने वाले अक्सर,
अपने छज्जों पे क़यामत के भंवर देखते हैं |
ख्वार खस्ता मेरा घर देखने वाले देखे ,
गौर से देखने वाले तो जिगर देखते हैं |
अपने आँगन सजा नहीं सके जो दीवाने ,
मेरे कलाम के शादाब शजर देखते हैं |
मेरी कलम का लिखा , मेरे जेहन के गुंचे ,
मेरे अरमान , मेरे ग़म , लोग हुनर देखते हैं |
सुन के भी अनसुना करते थे हमारी जो कभी ,
वो अब वारिद मेरी बातों की लहर देखते हैं |
i lykd it a looooot,such thoughts 2 pen down..i find it really tough...commendable praval....
ReplyDeletemashaallah........
ReplyDeletemia likhte to bahut achchha ho, magae ek dard hamesha ubhar aata hai......
khair khushi ho ya gham.....likhte rehna....